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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और आतिशी सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने AAP की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। 'आप' के प्रमुख नेता रहे गहलोत ने अपने त्यागपत्र में हालिया विवादों और पार्टी के अधूरे वादों का हवाला दिया। मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में नजफगढ़ से विधायक कैलाश गहलोत ने तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से अपना इस्तीफा दे दिया।
कैलाश गहलोत ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी एक पत्र लिखा और इस लेटर को सोशल मीडिया साइट एक्स पर शेयर कर दिया। कैलाश गहलोत ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ा उसे लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं। सवाल ये उठ रहा कि क्या उन्होंने अचानक ये ही फैसला लिया।
कैलाश गहलोत ने अचानक नहीं दिया इस्तीफा
कहते हैं सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता। ऐसा ही कुछ दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी में नजर आ रहा। कुछ महीने पहले तक खुद को अरविंद केजरीवाल का हनुमान बताने वाले कैलाश गहलोत ने मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उनके उठाए गए इस कदम के साथ सवाल उठने लगा कि क्या वो बीजेपी में जाएंगे? आम आदमी पार्टी सूत्रों का तो कहना यही है। इसी के साथ दिल्ली में सर्दियों की आहट के बीच सियासी पारा चढ़ने लगा है।
15 अगस्त को झंडा फहराने से शुरू हुआ विवाद
कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी से दूरी की चर्चा तभी से शुरू हो गई थी जब 15 अगस्त को दिल्ली में झंडा फहराने को लेकर विवाद हुआ था। उस समय दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में थे। उन्होंने लेटर भेजकर आतिशी को राजकीय कार्यक्रम में झंडा फहराने का फैसला लिया था। हालांकि, इसी के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से लेटर सामने आया। इसमें कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए नामित किया गया था। राष्ट्रीय राजधानी के छत्रसाल स्टेडियम में कैलाश गहलोत ने ही तिरंगा फहराया था।
केजरीवाल ने आतिशी तो एलजी ने गहलोत का दिया नाम
उस समय जब दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने कैलाश गहलोत को तिरंगा फहराने के लिए नाम फाइनल किया तभी से अटकलों का दौर शुरू हो गया। सियासी जानकार दबी जुबान से कहने लगे थे कि कहीं न कहीं कैलाश गहलोत की बीजेपी से नजदीकी बढ़ने लगी है। यही नहीं परिवहन मंत्री के तौर पर कैलाश गहलोत के कई कार्यक्रमों में उपराज्यपाल भी अकसर नजर आते थे। तभी से उनकी आप से दूरी की चर्चा तेज हो गई थी।
केजरीवाल की जेल से रिहाई के बाद भी दिखी दूरी
कैलाश गहलोत की AAP नेताओं से दूरी की चर्चा उस समय भी शुरू हुई थी जब अरविंद केजरीवाल जेल से छूटकर आए थे। उस समय केजरीवाल जब घर पहुंचे तो पार्टी के लगभग सभी नेताओं ने गले लगकर आप संयोजक का वेलकम किया था। हालांकि, उस समय भी कैलाश गहलोत की बॉडी लैंग्वेज से एक दूरी का आभास नजर आया था। ऐसा लगा जैसे केजरीवाल अपनी पार्टी के इस नेता से कुछ खफा नजर आए थे। तभी तो उनकी केजरीवाल के साथ गले लगने की तस्वीरें नजर नहीं आई थीं।
अब कैलाश गहलोत ने छोड़ दिया AAP
ऐसा माना जा रहा दिल्ली में हुए झंडा फहराने के विवाद से ही कैलाश गहलोत और आप नेतृत्व में एक अलगाव शुरू हो गया। अब जिस तरह से उन्होंने पार्टी छोड़ने और मंत्री पद से इस्तीफे के ऐलान किया वो सभी बातों की तस्दीक कर रहे हैं। फिलहाल दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये सियासी घटनाक्रम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए ही बड़ा झटका है।
इस्तीफे के साथ पार्टी नेतृत्व को घेरा
कैलाश गहलोत ने अब आप से इस्तीफे के साथ ही दिल्ली सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस बंगले में रहे उस 'शीशमहल' पर विवाद है। मुख्यमंत्री आवास की साज सज्जा पर करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप लगता रहा है। सरकारी आवास पर अब अरविंद केजरीवाल की पार्टी के ही वरिष्ठ नेता लग्जरी खर्च का आरोप लगा रहे हैं। इसके अलावा कैलाश गहलोत ने यमुना नदी की सफाई को लेकर भी दिल्ली सरकार के समक्ष प्रश्न खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना साफ नहीं हुई, बल्कि नदी पहले के मुकाबले और अधिक गंदी हो गई है।
केंद्र से दिल्ली सरकार के टकराव पर उठाए सवाल
कैलाश गहलोत का कहना है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र से टकराव के मूड में रहती है। कैलाश गहलोत ने मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री आतिशी से निवेदन किया है कि उनके इस्तीफे को तुरंत प्रभाव से मान्य किया जाए। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कैलाश गहलोत ने कहा है कि आज शीशमहल जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हमारे सामने हैं।
उन्होंने कहा कि यह बातें अब लोगों में संदेह पैदा कर रही हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी में विश्वास करते हैं। इसके साथ ही कैलाश गहलोत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है। ऐसे में दिल्ली का विकास नहीं हो सकता। ऐसे में अब उनके पास पार्टी से अलग होने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है, इसीलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं।
कैलाश गहलोत ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी एक पत्र लिखा और इस लेटर को सोशल मीडिया साइट एक्स पर शेयर कर दिया। कैलाश गहलोत ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ा उसे लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रहीं। सवाल ये उठ रहा कि क्या उन्होंने अचानक ये ही फैसला लिया।
कैलाश गहलोत ने अचानक नहीं दिया इस्तीफा
कहते हैं सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता। ऐसा ही कुछ दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी में नजर आ रहा। कुछ महीने पहले तक खुद को अरविंद केजरीवाल का हनुमान बताने वाले कैलाश गहलोत ने मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। उनके उठाए गए इस कदम के साथ सवाल उठने लगा कि क्या वो बीजेपी में जाएंगे? आम आदमी पार्टी सूत्रों का तो कहना यही है। इसी के साथ दिल्ली में सर्दियों की आहट के बीच सियासी पारा चढ़ने लगा है।15 अगस्त को झंडा फहराने से शुरू हुआ विवाद
कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी से दूरी की चर्चा तभी से शुरू हो गई थी जब 15 अगस्त को दिल्ली में झंडा फहराने को लेकर विवाद हुआ था। उस समय दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल जेल में थे। उन्होंने लेटर भेजकर आतिशी को राजकीय कार्यक्रम में झंडा फहराने का फैसला लिया था। हालांकि, इसी के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से लेटर सामने आया। इसमें कैलाश गहलोत को झंडा फहराने के लिए नामित किया गया था। राष्ट्रीय राजधानी के छत्रसाल स्टेडियम में कैलाश गहलोत ने ही तिरंगा फहराया था।केजरीवाल ने आतिशी तो एलजी ने गहलोत का दिया नाम
उस समय जब दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने कैलाश गहलोत को तिरंगा फहराने के लिए नाम फाइनल किया तभी से अटकलों का दौर शुरू हो गया। सियासी जानकार दबी जुबान से कहने लगे थे कि कहीं न कहीं कैलाश गहलोत की बीजेपी से नजदीकी बढ़ने लगी है। यही नहीं परिवहन मंत्री के तौर पर कैलाश गहलोत के कई कार्यक्रमों में उपराज्यपाल भी अकसर नजर आते थे। तभी से उनकी आप से दूरी की चर्चा तेज हो गई थी।केजरीवाल की जेल से रिहाई के बाद भी दिखी दूरी
कैलाश गहलोत की AAP नेताओं से दूरी की चर्चा उस समय भी शुरू हुई थी जब अरविंद केजरीवाल जेल से छूटकर आए थे। उस समय केजरीवाल जब घर पहुंचे तो पार्टी के लगभग सभी नेताओं ने गले लगकर आप संयोजक का वेलकम किया था। हालांकि, उस समय भी कैलाश गहलोत की बॉडी लैंग्वेज से एक दूरी का आभास नजर आया था। ऐसा लगा जैसे केजरीवाल अपनी पार्टी के इस नेता से कुछ खफा नजर आए थे। तभी तो उनकी केजरीवाल के साथ गले लगने की तस्वीरें नजर नहीं आई थीं।अब कैलाश गहलोत ने छोड़ दिया AAP
ऐसा माना जा रहा दिल्ली में हुए झंडा फहराने के विवाद से ही कैलाश गहलोत और आप नेतृत्व में एक अलगाव शुरू हो गया। अब जिस तरह से उन्होंने पार्टी छोड़ने और मंत्री पद से इस्तीफे के ऐलान किया वो सभी बातों की तस्दीक कर रहे हैं। फिलहाल दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये सियासी घटनाक्रम अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए ही बड़ा झटका है।इस्तीफे के साथ पार्टी नेतृत्व को घेरा
कैलाश गहलोत ने अब आप से इस्तीफे के साथ ही दिल्ली सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस बंगले में रहे उस 'शीशमहल' पर विवाद है। मुख्यमंत्री आवास की साज सज्जा पर करोड़ों रुपए खर्च करने का आरोप लगता रहा है। सरकारी आवास पर अब अरविंद केजरीवाल की पार्टी के ही वरिष्ठ नेता लग्जरी खर्च का आरोप लगा रहे हैं। इसके अलावा कैलाश गहलोत ने यमुना नदी की सफाई को लेकर भी दिल्ली सरकार के समक्ष प्रश्न खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना साफ नहीं हुई, बल्कि नदी पहले के मुकाबले और अधिक गंदी हो गई है।केंद्र से दिल्ली सरकार के टकराव पर उठाए सवाल
कैलाश गहलोत का कहना है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र से टकराव के मूड में रहती है। कैलाश गहलोत ने मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री आतिशी से निवेदन किया है कि उनके इस्तीफे को तुरंत प्रभाव से मान्य किया जाए। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कैलाश गहलोत ने कहा है कि आज शीशमहल जैसे कई शर्मनाक और अजीबोगरीब विवाद हमारे सामने हैं।उन्होंने कहा कि यह बातें अब लोगों में संदेह पैदा कर रही हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी में विश्वास करते हैं। इसके साथ ही कैलाश गहलोत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती है। ऐसे में दिल्ली का विकास नहीं हो सकता। ऐसे में अब उनके पास पार्टी से अलग होने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है, इसीलिए वह इस्तीफा दे रहे हैं।
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